पृथ्वीराज चौहान का इतिहास | Prithviraj chauhan history in Hindi 2023
पृथ्वीराज चौहान का इतिहास, कहानी, कथा, जीवन परिचय, वंशज, संयोगिता, प्रेम कहानी, जयंती, जन्म, मृत्यु कैसे हुई, बेटे, बेटी, मित्र , धर्म, जाति विवाद(Prithviraj Chauhan Biography, Movie in Hindi) Wife, Sanyogit ki, Kahani, Birth, Death, Reason, Friend)
पृथ्वीराज चौहान भारत के इतिहास का वो नाम है जिसे कभी भी भुलाया नहीं सकता है, राजपूत शासकों और चौहान वंश में जन्मे प्रसिद्ध राजा पृथ्वीराज चौहान एक हिन्दू राजा था जिसने महज 11 साल की उम्र में अपने पिता की मौत के बाद शाशन संभाल लिए था।
या एक प्रभावी राजा थे जो एक पराक्रमी राजा के साथ-साथ कई भाषाओ और विषयो के ज्ञानी भी थे इतने महान राजा के बारे में हर किसी को विश्व कभी नहीं भुलाया जा सकता है कई इसलिए कई टीवी सीरियल और अक्षय कुमार ने बॉलीवुड में मूवी भी बनाई थी।आइये जानते है भारत के इस महान राजा के इतिहास के बारे में।
पृथ्वीराज चौहान का इतिहास, जीवन परिचय – Prithviraj chauhan history in Hindi
पूरा नाम | पृथ्वीराज चौहान |
अन्य नाम | भरतेश्वर, हिन्दूसम्राट, पृथ्वीराज तृतीय, राय पिथौरा |
जाति, व्यवसाय | क्षत्रिय, राजपूत |
जन्मस्थान | पाटन (गुजरात) -भारत |
जन्मतिथि | 11 जून 1963- आंगल पंचांग के अनुसार |
मृत्युस्थान | अजमेर राजस्थान – भारत |
मृत्युतिथि | 11 मार्च 1192 – आंगल पंचांग के अनुसार |
मृत्यु के समय आयु | 28 वर्ष |
धर्म | हिन्दू |
पराजय | मुहम्मद सहाबुद्दीन गौरी – धोखे से |
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पृथ्वीराज चौहान का प्रारम्भिक और व्यक्तिगत जीवन -Prithviraj Chauhan, Birth, Family, Early and personal life
पृथ्वीराज चौहान का अजमेर के राजा थे उनका जन्म उनके माता-पिता के विवाह के 12 वर्ष के बाद हुआ। जन्मतिथि उनका जन्म 1 जून 1163 में पाटन (गुजरात) में हुआ था। जो हिंदू कैलेंडर का तीसरा महीना (ज्येष्ठ) जो कि ग्रेगोरियन कैलेंडर के जून से मेल खाता है।
उनके जन्म के बाद से ही उन्हें मारने के लिए राजनैतिक षड्यंत्र रचे जाने लगे परन्तु इन सभी से बचते हुए उन्हें सभी को मात दी। उन्हें राय पिथौरा के नाम से भी जाना जथा था।
राय पिथौरा अपने माता का कर्पूरा देवी और पिता सोमेश्वर देवी के सबसे बड़ी संतान थे, उनके बाद भाई (हरिराज) और बहन (पृथी) का जन्म हुआ उन्हीने 13 शादियां की थी उनके पुत्र का नाम गोविन्द चौहान था।
जब वह 11 वर्ष के हुए तब उनके पिता की मृत्यु हो गयी तभी से उन्होंने दिल्ली और अजमेर की राजगद्दी संभाल ली वह एक कुशल योद्धा थे जिहोने अपने युद्ध कौशल से अपने राज्य की सीमाओं को आधुनिक राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से भी आगे तक बढ़ाया।
“पृथ्वीराज” छह अलग-अलग भाषाओं को जानते थे। पृथ्वीराज रासो में, एक अन्य स्तवन कविता में, यह कहा गया है कि पृथ्वीराज गणित, चिकित्सा, इतिहास, धर्मशास्त्र, दर्शन और सेना सहित विभिन्न क्षेत्रों के जानकार थे। पृथ्वीराज रासो और पृथ्वीराज विजया के अनुसार, पृथ्वीराज धनुर्विद्या में कुशल थे।
पिता का नाम | सोमेश्वर चौहान |
माता का नाम | कर्पूरा देवी |
भाई (छोटा) का नाम | हरिराज |
बहन (छोटी ) का नाम | पृथा |
पत्नी | 13 |
बेटा | गोविन्द चौहान |
बेटी | अज्ञात |
प्रिय पत्नी | संयोगिता |
पृथ्वीराज चौहान की पत्नियों के नाम
- जम्भावती पडिहारी
- पंवारी इच्छनी
- दाहिया
- जालन्धरी
- गूजरी
- बडगूजरी
- यादवी पद्मावती
- यादवी शशिव्रता
- कछवाही
- पुडीरनी
- शिव्रता
- इन्द्रावती
- संयोगिता गाहडवाल
पृथ्वीराज चौहान का दिल्ली पर उत्तराधिकार (Prithviraj Chauhan Delhi Succession)
अजमेर की महारानी कपुरीदेवी अपने पिता अंगपाल की एक लौती संतान थी. इसलिए उनके सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी, कि उनकी मृत्यु के पश्चात उनका शासन कौन संभालेगा।
उन्होने अपनी पुत्री और दामाद के सामने अपने दोहित्र को अपना उत्तराअधिकारी बनाने की इच्छा प्रकट की और दोनों की सहमति के पश्चात युवराज पृथ्वीराज को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया।
सन 1166 मे महाराज अंगपाल की मृत्यु के पश्चात पृथ्वीराज चौहान की दिल्ली की गद्दी पर राज्य अभिषेक किया गया और उन्हे दिल्ली का कार्यभार सौपा गया।
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दिल्ली पर उत्तराधिकार : (Prithviraj Delhi Succession)
अजमेर की महारानी और पृथ्वीराज चौहान की माँ कर्पूरा देवी दिल्ली के महाराज अंगपाल की एकलौती संतान थी, उनके विवाह के बाद उन्होने अजमेर के राजा सोमेश्वर को राज्य भर देने के चेष्ठा की।
परन्तु सोमेश्वर ने कहा की उनका पुत्र जब बड़ा हो जायेगा तब दिल्ली का उत्तराधिकारी बनेगा यह सुनकर राजा अंगपाल बहुत प्रसन्न हुए और पने नाती को सिहासन देने के लिए सहमत हो गए 1166 में महाराज अंगपाल की मृत्यु के बाद की गद्दी संभाल ली और दिल्ली के उत्तराधिकारी बनकर वहां का कार्यभार सँभालने लगे।
चदंबरदाई और पृथ्वीराज चौहान की मित्रता – (Prithviraj Chaunhan and friend Chadamabrdai)
पृथ्वीराज चौहान के परम मित्र चंदबरदाई उनके भाई की तरह थे, चंदबरदाई तोमर वंश के शासक महाराज अनंगपाल के के नाती थे, दोनों ने मिलकर पिथौरागढ़ का निर्माण किया जिसे अब दिल्ली के पुराने किले के नाम से जाता है।
पृथ्वीराज चौहान और राजकुमारी संयोगिता से विवाह की कहानी- (Prithviraj chauhan and Sanyogita story)
कन्नौज के महाराज जयचंद्र की पुत्री राजकुमारी संयोगिता और पृथ्वीराज चौहान दोनों एक दूसरे से बेहद प्रेम करते थे। इतिहास के पन्नो में दोनों की प्रेमगाथाएं बहुत प्रसिद्द है दोनों ने एक दूसरे को बिना देखे केवल छत्र देखकर ही प्रेम कर लिए था।
संयोगिता के पिता राजा जयचंद्र हमेशा ही पृथ्वीराज से बैर रखते थे जब उन्हें दोनों के प्रेम के बार में पता चला तो वह क्रोधित हो गए और पृथिवीराज को निचा दिखने के लिए राजकुमारी के विवाह के लिए स्वयंवर रखा पर पृथ्वीराज को स्वयंवर में आमंत्रित नहीं किया और उनकी मूर्ति को उपहास करने के लिए द्वारपाल की तरह रख दिया गया।
यह सब देखकर राजकुमारी संयोगिता ने पृथ्वीराज को सन्देश लिखकर अपने साथ ले जाने को कहा पृथ्वीराज ने सन्देश पढ़कर भरी सभा में संयोगिता को अग्वे कर लिया और अपने राज्य दिल्ली में आकर विधि पूर्वक व्यवाह कर लिया। यह देख राजा जयचंद्र अपने अपमान का बदला लेने के लिए सोचने लगे और दूसरी बार मोहम्मद गौरी से युद्ध में राजा जयचंद्र ने गद्दारी करते हुए उन्हें पकड़वा दिया।
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पृथ्वीराज चौहान: हिंदू शासकों के साथ संघर्ष – Prithviraj cahihan : Hindu rulers fight
उनके शाशन काल में उनके चचेरे भाइयो और उनके ही क्षेत्र के कई हिन्दू राजाओ ने उन्हें मारने और सत्ता अपन हाथ में लेने के लिए पृथ्वीराज पर कई बार आक्रमण करवाए मगर उनकी युद्ध कुशलता, पराक्रम, और सहस के कारण उन्होंने सब को मार गिराया। निचे कुछ हिन्दू राजाओ के साथ उनके संघर्ष की कुछ बाते विस्तार पूर्वक लिखी गयी है।
1. नागार्जुन
पृथ्वीराज के चचेरे भाई नागार्जुन ने पृथ्वीराज चौहान के राज्याभिषेक के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। नागार्जुन ने सटीक बदला लेने और क्षेत्र पर अपना प्रभुत्व प्रदर्शित करने के प्रयास में गुडापुरा किले पर नियंत्रण कर लिया था। पृथ्वीराज ने अपनी सैन्य शक्ति प्रदर्शित करने के लिए गुडापुरा को घेर लिया। यह पृथ्वीराज की प्रारंभिक सैन्य विजयों में से एक थी।
2. भड़ानक
पृथ्वीराज ने अपने चचेरे भाई नागार्जुन के विद्रोह को कम करने के बाद अपना ध्यान पड़ोसी राज्य भदनकों की ओर लगाया। पृथ्वीराज ने पड़ोसी राज्य को नष्ट करने का निर्णय लिया क्योंकि भदनकों ने अक्सर आधुनिक दिल्ली के आसपास के क्षेत्र को जीतने की धमकी दी थी, जो चाहमन वंश के थे।
3. जेजाकभुक्ति के चंदेल
मदनपुर में कई शिलालेखों के अनुसार, पृथ्वीराज ने 1182 CE में दुर्जेय चंदेल शासक परमर्दी को पराजित किया। चंदेलों पर पृथ्वीराज की विजय के कारण, चंदेलों ने गढ़वालों के साथ सेना में शामिल हो गए, जिससे उनके विरोधियों की संख्या बढ़ गई।
4. गुजरात के चालुक्य
इतिहास में पृथ्वीराज के साम्राज्य और गुजरात के चालुक्यों के बीच संघर्ष का उल्लेख मिलता है, लेकिन कविता के अतिशयोक्तिपूर्ण स्वर को देखते हुए पृथ्वीराज रासो में किए गए कई संदर्भ संदिग्ध प्रतीत होते हैं। हालाँकि, कुछ भरोसेमंद स्रोत चालुक्यों के पृथ्वीराज चौहान और भीम द्वितीय द्वारा हस्ताक्षरित एक शांति समझौते का उल्लेख करते हैं, जो बताता है कि दोनों राज्य युद्ध में थे।
5. कन्नौज के गढ़वाल
पृथ्वीराज विजया, ऐन-ए-अकबरी, और सुर्जना-चरित की एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, गढ़वाल साम्राज्य के जयचंद्र, एक और मजबूत शासक, और पृथ्वीराज चौहान के बीच असहमति थी।
पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गौरी द्वारा लड़े गए युद्ध – Prithviraj cahuhan and Muhammd gauri fight in HIndi
हिन्दू राओ के साथ साथ उन्होंने मुग़लो और अन्य कई विदेशी देश से भी लड़ाई लड़ी जिनकी व्याख्या कई किताबो में लिखी उनमे से कुछ जानकारी इस प्रकार है।
मुहम्मद सहाबुद्दीन गौरी जो पंजाब और हरियाणा पर शाशन करता था उसने अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए था, गौरी ने चाहमानों के साथ युद्ध शुरू कर दिया और उन्हें हरा दिया इसके बाद वह अपनी सीमाएं पृथ्वीराज चौहान के राज्य में बढ़ने लिए लगा इसलिए दोनों के बिच दो बार लड़ाई हुई।
1. तराइन के प्रथम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद सहाबुद्दीन गौरी
मुहम्मद सहाबुद्दीन गौरी ने 1190 और 1191 CE के बीच तबरहिन्दाह पर विजय प्राप्त की, जो चाहमान वंश से संबंधित था। पृथ्वीराज ने आक्रमण के बारे में सुनकर तबरहिंदाह की ओर प्रस्थान किया। तराइन नामक स्थान पर सेनाएँ एकत्रित हुईं। यह लड़ाई, जिसे “तराइन की पहली लड़ाई” के रूप में जाना जाता है, पृथ्वीराज की सेना ने गौरी की सेना को हरा दिया इस युद्ध में मुहम्मद गौरी बुरी तरह से जख्मी हो गया उसके सैनिक बड़ी चतुराई भाग खड़े हुए और महल ले आये और उसका इलाज करवाया।
2. तराइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद सहाबुद्दीन गौरी
दूसरी बार लगभग दो साल बाद 1192 मुहम्मद गौरी ने पृथ्वी राज से बदला लेने के लिए कूटनीति का इस्तेमाल किया उसने पृथ्वीराज के दुश्मन राजा जयचंद्र के मिलकर उसने पृथ्वीराज से तराइन में दुबारा लड़ाई लड़ी राजा जयचंद्र पृथ्वीराज के साथ की गद्दारी की और पृथ्वीराज के सैनिक को ही मारने लगा धोके से आक्रमण के बाद मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज बंदी बना लिया।
पृथ्वीराज चौहान का साम्राज्य – Prithviraj Chauhan Empire
अपने आखिरी समय में पृथ्वीराज का साम्राज्य हिमालय के ताल से दक्षिण के माउंट अबू के पहाड़ तक फैला हुआ था, साथ ही पूर्व से पश्चिम की और बेतवा नदी से सतलुज नदी तक फैला हुआ था। इसका तात्पर्य है कि उनके साम्राज्य में वर्तमान राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तरी मध्य प्रदेश और दक्षिणी पंजाब शामिल थे।
उनके निधन के बाद, पृथ्वीराज चौहान को बड़े पैमाने पर एक शक्तिशाली हिंदू राजा के रूप में चित्रित किया गया, जो कई वर्षों तक मुस्लिम आक्रमणकारियों को खाड़ी में रखने में सफल रहे।
मध्ययुगीन भारत में इस्लामी शासन की शुरुआत से पहले उन्हें अक्सर भारतीय शक्ति के प्रतीक के रूप में चित्रित किया जाता है। पृथ्वीराज चौहान की वीर उपलब्धियों को कई भारतीय फिल्मों और TV serial और अक्षय कुमार की movie में भी दिखाया गया है, जैसे ‘सम्राट पृथ्वीराज ” और ‘वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान” अजमेर, दिल्ली और अन्य स्थानों पर कई स्मारक हैं जो वीर राजपूत शासक का सम्मान करते हैं।
पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु – Prithviraj Death
1192 में तराइन के दूसरे युद्ध के बाद मुहम्मद गौरी ने अजमेर पर कब्ज़ा कर लिया उसके बाद पृथ्वीराज और उनके मित्र चदंबरदाई दोनों को कैद कर जेल में डाल दिया गया, जेल में पृथ्वीराज को यातनाये दी जा रही थी, कहा जाता है की मुहम्मद गौरी जेल में जब पृथ्वीराज से मिलने आते थे तब वह अपने नजरो से घूर कर ही मुहम्मद गौरी को उन्हें निचा दिखा देते थे।
इसलिए उनकी दोनों आँखे फोड़ दी गयी थी, और उन्हें जंगली जानवरो के सामने फेंक देते थे, लेकिन पृथ्वीराज चौहान इतने पराक्रमी थे की वे जानवरो को मार देते थे।
अंत में मुहम्मद गौरी और महाराज पृथ्वीराज चौहान ने बीच भाला और तीर युद्ध में मुह्हमद गौरी के आँख में तीर मारकर मार दिया परन्तु उनके सैनिको ने पृथ्वीराज चौहान और उनके मित्र चदंबरदाई को बाणो से भेद कर मार डाला।
परन्तु कई इतिहासकारो द्वारा उनकी मृत्यु की अलग अलग कहानिया बताई गयी है। उनके मित्र द्वारा ये पीड़ाएँ देखी नहीं जाती थी इसलिए 1192 ईस्वी में उनके मित्र चदंबरदाई से उन्हें तलवार से मारकर पीड़ा से मुक्त करवा दिया और खुद भी आत्महत्या कर ली।
पृथ्वीराज चौहान का इतिहास वीडियो
निष्कर्ष – Conclusion
सम्राट पृथ्वीराज चौहान भारत के एक पराक्रमी राजा थे उन्होंने अपने जीवन काल में मुग़लो को हमेशा भारत के सीमाओं के तलहटी में रखा था उन्होंने लालची हिन्दू राजाओ को भी खूब सबक सिखाया, राजा जयचंद्र की गद्दारी की वजह से वह मुहम्मद गौरी से दूसरे युद्धे में हार गए। इतिहास कभी भी ऐसे वीर योद्धा को भूलेगा नहीं।
Prithviraj chauhan history in Hindi के आर्टिकल की मदद से आपको महान चक्रवृति सम्राट महाराज विक्रमादित्य के बारे में पूरी जानकरी विस्तार से दी जा रही है उम्मीद करता हूँ ! आपको मेरा इस आर्टिकल पसंद आया होगा कमेंट करके जरूर बताये।
पृथ्वीराज चौहान से जुड़े कुछ सवाल (FAQ)
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Ques:- पृथ्वीराज चौहान के पिता का नाम
Ans:- सोमेश्वर चौहान
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Ques:- पृथ्वीराज चौहान के माता का नाम
Ans:- कर्पूरा देवी
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Ques:- पृथ्वीराज चौहान के भाई का नाम
Ans:- हरिराज
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Ques:- पृथ्वीराज चौहान के बहन का नाम
Ans:- पृथा
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Ques:- पृथ्वीराज चौहान की पत्नी के नाम
Ans:- पृथ्वीराज चौहान के 13 पत्नियां थी पर उनमे सबसे प्रिय पत्नी कन्नौज की राजकुमारी संयोगिता थी
जम्भावती पडिहारी
पंवारी इच्छनी
दाहिया
जालन्धरी
गूजरी
बडगूजरी
यादवी पद्मावती
यादवी शशिव्रता
कछवाही
पुडीरनी
शिव्रता
इन्द्रावती
संयोगिता गाहडवाल -
Ques:- पृथ्वीराज चौहान का जन्म कब हुआ ?
Ans:- पृथ्वीराज चौहान का जन्म कब 11 जून 1963 में हुआ।
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Ques:- पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु कब हुई ?
Ans:- पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु 11 मार्च 1192 में हुई थी
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Ques:-पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु कैसे हुई ?
Ans:-1192 में तराइन के दूसरे युद्ध में अपने ससुर राजा जयचंद्र की गद्दारी और मुहम्मद गौरी से लड़ाई में उन्हें कैद कर उनकी हत्या कर दी गयी थी।
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Ques:-पृथ्वीराज चौहान कौन थे ?
Ans:- सम्राट पृथ्वीराज चौहान अजमेर (भारत) के राजा थे उनके युद्ध पराक्रम और डर से उनके जीवित रहने तक मुग़लो ने हमेशा भारत के सीमाओं के तलहटी में रखा था।
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Ques:- चदंबरदाई कौन थे
Ans:- चंदबरदाई तोमर वंश के शासक महाराज अनंगपाल के के नाती थे और पृथ्वीराज चौहान के परम मित्र भी दोनों साथ मिलकर अनेक लड़ाइयां लड़ी।